अमित शाह का तर्क
अमित शाह ने यह बयान देते समय कहा कि डॉ. अंबेडकर का नाम लेने की विपक्षी दलों को आदत हो गई है लेकिन उनका सही सम्मान तभी होगा जब उनके विचारों को अपनाया जाएगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि केवल नाम लेना पर्याप्त नहीं है; बल्कि उनके आदर्शों और सिद्धांतों को अपनाना जरूरी है। उन्होंने अपने बयान का बचाव करते हुए कहा कि उनका मतलब डॉ भीमराव अंबेडकर का अपमान करना नहीं, बल्कि उनके नाम का सम्मानजनक उपयोग उपयोग करना चहिए |
अमित शाह का भीमराव अंबेडकर पर बयान: विपक्ष की प्रतिक्रिया
इस बयान के बाद कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने भाजपा और अमित शाह की कड़ी आलोचना की। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि यह डॉ. अंबेडकर का अपमान है और अमित शाह को अपने शब्दों के लिए माफी मांगनी चाहिए। राहुल गांधी ने भी इस मुद्दे पर टिप्पणी करते हुए कहा कि भाजपा और संघ परिवार ने हमेशा डॉ. अंबेडकर के विचारों की अनदेखी की है और उनका नाम केवल राजनीतिक फायदे के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है।
अमित शाह का कांग्रेस पर
हमला
अमित शाह ने कांग्रेस पर पलटवार करते हुए कहा कि डॉ. अंबेडकर को सबसे ज्यादा अन्याय कांग्रेस ने किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने अंबेडकर के योगदान को लंबे समय तक नजरअंदाज किया और उन्हें भारत रत्न देने में देरी की। अमित शाह ने कहा कि भाजपा ने हमेशा अंबेडकर के आदर्शों को मान्यता दी है और उनके सम्मान को बढ़ाने के लिए काम किया है।
यह विवाद केवल एक बयान तक सीमित नहीं है। यह सवाल उठाता है कि क्या भारतीय राजनीति में डॉ. अंबेडकर के विचारों को सही मायने में अपनाया गया है। चाहे वह शिक्षा में समानता का मुद्दा हो, जातिगत भेदभाव का उन्मूलन, या सामाजिक न्याय की स्थापना, इन सभी मोर्चों पर आज भी कई चुनौतियां बरकरार हैं|
अमित शाह का डॉ. भीमराव अंबेडकर पर बयान : विवाद का व्यापक असर
इस घटना ने राजनीति में महापुरुषों के नाम के उपयोग और उनके आदर्शों की अनदेखी पर फिर से बहस छेड़ दी है। विपक्ष का कहना है कि भाजपा केवल अंबेडकर के नाम का उपयोग कर रही है, जबकि उनकी नीतियों और विचारों को अपनाने में विफल रही है। वहीं, भाजपा का दावा है कि कांग्रेस ने अंबेडकर को इतिहास में उचित स्थान नहीं दिया।
डॉ. अंबेडकर का सच्चा सम्मान
डॉ. अंबेडकर का सम्मान केवल उनके नाम का जिक्र करने या उनके प्रति बयान देने तक सीमित नहीं हो सकता। उनके विचारों को अपनाकर ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि दी जा सकती है। जातिवाद, सामाजिक असमानता और भेदभाव जैसी समस्याओं को समाप्त करना ही उनके आदर्शों का पालन करना होगा।
निष्कर्ष
अमित शाह के बयान ने एक महत्वपूर्ण बहस को जन्म दिया है। यह सवाल उठता है कि क्या राजनीतिक दल अंबेडकर के विचारों को सही मायने में समझते और अपनाते हैं, या केवल उनके नाम का उपयोग वोट बैंक की राजनीति के लिए करते हैं। डॉ. अंबेडकर ने एक ऐसे भारत का सपना देखा था जो न्याय, समानता और समावेशिता पर आधारित हो। यह विवाद हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि क्या आज का भारत उनके सपनों के करीब है।
महापुरुषों का सच्चा सम्मान उनके नाम का राजनीतिक उपयोग नहीं, बल्कि उनके विचारों को समाज में लागू करने से होता है। यह समय है कि सभी राजनीतिक दल इस दिशा में गंभीरता से सोचें और काम करे